अमेरिका 43 देशों पर लगाने जा रहा है ट्रेवेल बैन, पाकिस्तान का क्या होगा?

Trump Administration Travel Ban: रेड लिस्ट में शामिल देशों के नागरिकों की एंट्री पर पूरी तरह से रोक लगा दी जाएगी. ऑरेंज लिस्ट में शामिल देशों के नागरिक पर चुनिंदा प्रतिबंध होंगे, ख़ासकर उन यात्रियों पर, जो बिज़नेस से जुड़े नहीं हैं. येलो लिस्ट में कौन से देश शामिल हैं?

PHILADELPHIA, PENNSYLVANIA – SEPTEMBER 10: Republican presidential nominee, former U.S. President Donald Trump, debates Democratic presidential nominee, U.S. Vice President Kamala Harris, for the first time during the presidential election campaign at The National Constitution Center on September 10, 2024 in Philadelphia, Pennsylvania. After earning the Democratic Party nomination following President Joe Biden’s decision to leave the race, Harris faced off with Trump in what may be the only debate of the 2024 race for the White House. (Photo by Win McNamee/Getty Images)

अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप (Donald Trump) 43 देशों पर नए ट्रैवल बैन लगाने पर विचार कर रहे हैं. इसमें रूस और पाकिस्तान भी शामिल हैं. इस बैन से इन देशों के नागरिकों की अमेरिका में एंट्री या तो पूरी तरह रोक दी जाएगी या कई तरह के प्रतिबंध लग जाएंगे (US Travel Ban). इन देशों 3 श्रेणियों में बांटा गया है- रेड लिस्ट, ऑरेंज लिस्ट और येलो लिस्ट. बता दें, इसे लेकर कोई आधिकारिक आदेश जारी नहीं किया गया है. लेकिन द न्यूयॉर्क टाइम्स (NYT) और रॉयटर्स जैसे संस्थानों ने अधिकारियों के हवाले से इसकी पुष्टि की है. रिपोर्ट्स के मुताबिक़, रेड लिस्ट में शामिल देशों के नागरिकों की एंट्री पर पूरी तरह से रोक लगा दी जाएगी. 

ऑरेंज लिस्ट में शामिल देशों के नागरिक पर चुनिंदा प्रतिबंध होंगे, ख़ासकर ग़ैर-व्यावसायिक (Non-Business Travellers) यात्रियों पर. इसके अलावा, येलो लिस्ट में शामिल देशों को ‘सुरक्षा से जुड़ी कमियों को दूर करने’ के लिए 60 दिन की समय सीमा दी गई है. ऐसा ना करने पर, इन देशों को ज़्यादा रिस्ट्रिक्शन वाली लिस्ट (रेड या ऑरेंज) में डालने की बात कही गई है.

प्रस्तावित योजना के मूल में 11 देशों की एक रेड लिस्ट है. NYT ने अधिकारियों के हवाले से बताया कि इस लिस्ट में शामिल देश हैं- अफ़गानिस्तान, भूटान, क्यूबा, ​​ईरान, लीबिया, उत्तर कोरिया, सोमालिया, सूडान, सीरिया, वेनेजुएला और यमन इस लिस्ट में ज़्यादातर देश मुस्लिम बहुल हैं. इसे ‘ट्रंप की तरफ़ से इन देशों’ की एंट्री रोकने के लिए पहले की गई कोशिशों का ही विस्तार बताया गया. ये कोशिशें उन्होंने अपने पहले कार्यकाल में की थीं. तब उन्होंने सात मुस्लिम देशों के एंट्री पर बैन लगा दिया था.Orange List

इसमें-बेलारूस, इरिट्रिया, हैती, लाओस, म्यांमार, पाकिस्तान, रूस, सिएरा लियोन, दक्षिण सूडान और तुर्कमेनिस्तान- जैसे देशों को रखा गया है. इन 10 देशों के नागरिकों को सख़्त जांच प्रोसिज़र्स और अनिवार्य इन-पर्सन वीज़ा इंटरव्यूज़ का सामना करना पड़ेगा.

इन देशों के अमीर बिज़नेस ट्रैवलर्स को अभी भी एंट्री की मंजूरी दी जा सकती है. लेकिन इमिग्रेंट और पर्यटक वीज़ा होल्डर्स को कड़ी जांच से गुजरना होगा. दिलचस्प है कि इन देशों में रूस भी शामिल है. हालिया दिनों में ट्रंप और पुतिन के बीच दोस्ती की ख़बरों के बीच ये ख़बर आई है.

Yellow List

येलो लिस्ट में 22 देश शामिल हैं. नाम- अंगोला, एंटीगुआ और बारबुडा, बेनिन, बुर्किना फासो, कैमरून, केप वर्डे, चाड, कांगो गणराज्य, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य, डोमिनिका, इक्वेटोरियल गिनी, गाम्बिया, लाइबेरिया, मलावी, माली, मॉरिटानिया, सेंट किट्स और नेविस, सेंट लूसिया, साओ टोमे और प्रिंसिपे, वानुअतु और जिम्बाब्वे.

No.Red ListOrange ListYellow List
1अफ़गानिस्तानबेलारूसअंगोला
2भूटानइरिट्रियाएंटीगुआ और बारबुडा
3क्यूबाहैतीबेनिन
4​​ईरानलाओसबुर्किना फासो
5लीबियाम्यांमारकैमरून
6उत्तर कोरियापाकिस्तानकेप वर्डे
7सोमालियारूसचाड
8सूडानसिएरा लियोनकांगो गणराज्य
9सीरियादक्षिण सूडानकांगो लोकतांत्रिक गणराज्य
10वेनेजुएलातुर्कमेनिस्तानडोमिनिका
11यमन इक्वेटोरियल गिनी
12  गाम्बिया
13  लाइबेरिया
14  मलावी
15  माली
16  मॉरिटानिया
17  सेंट किट्स और नेविस
18  साओ टोमे और प्रिंसिपे
19  वानुअतु
20  जिम्बाब्वे
21  सेंट लूसिया
22  सेंट लूसिया

क्रेडिट- न्यूयॉर्क टाइम्स

ट्रम्प प्रशासन ने चिंता जताई है कि ये देश यात्रियों के बारे में अमेरिका के साथ पर्याप्त जानकारी शेयर करने में विफल रहते हैं या पासपोर्ट जारी करते समय सुरक्षा संबंधी ढीले तौर-तरीक़े अपनाते हैं. इससे इन प्रतिबंधित देशों के लोग खामियों का फायदा उठा सकते हैं.

बताते चलें, रॉयटर्स और NYT, दोनों ने अपनी ख़बर में लिखा है- ‘लिस्ट’ के अंतिम संस्करण पर अभी चर्चा चल रही है. क्योंकि विदेश विभाग, गृह सुरक्षा विभाग और अन्य खुफिया एजेंसियों के अधिकारी सिफारिशों की समीक्षा कर रहे हैं.

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